बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा एलान किया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का पैसा सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। इससे पहले एमएसपी का पैसा किसानों तक मंडियों और आढ़तियों के जरिए पहुंचता था। सरकार का दावा था कि इस फैसले से भ्रष्टाचार रोकने में मदद मिलेगी। इसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा। पिछले साल मध्य नवंबर तक के आंकड़ों के अनुसार खरीफ विपणन सत्र 2022-23 (खरीफ फसल) के लिए 231 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। इसकी तुलना में पिछले वर्ष की इसी अवधि में लगभग 228 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई थी। सरकार की मानें तो खरीद से लगभग 47,644 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य के भुगतान के साथ 13.50 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं।
वहीं, एमएसपी में वृद्धि की बात करें तो अक्टूबर 2022 में कैबिनेट ने विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को स्वीकृति दी थी। इसमें रबी फसलों के विपणन सीजन 2023-24 के लिए एमएसपी में वृद्धि की गई थी। मसूर के लिए 500/- रुपये प्रति क्विंटल और इसके बाद सफेद सरसों व सरसों के लिए 400/- रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी में पूर्ण रूप से उच्चतम वृद्धि को मंजूरी दी गई थी। कुसुंभ के लिए 209/- रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई थी। गेहूं, चना और जौ के लिए क्रमशः 110 रुपये प्रति क्विंटल और 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई थी।