वैश्विक कीमतों में नरमी आने के बीच सरकार की उर्वरक सब्सिडी का खर्च चालू वित्तवर्ष में बढ़कर 2.3-2.5 लाख करोड़ रुपये हो सकता है
रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा ने राज्यसभा में मंगलवार को बताया कि देश में डीएपी उर्वरक की आपूर्ति संतोषजनक बनी हुई है. खुबा ने उच्च सदन में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के चालू रबी (सर्दियों) सत्र के लिए 55.38 लाख टन की आवश्यकता के मुकाबले 14 दिसंबर तक इस उर्वरक की उपलब्धता 47.88 लाख टन थी. उन्होंने कहा कि चालू रबी सत्र में एक अक्टूबर से 14 दिसंबर के बीच डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के रास्ते डीएपी की संचयी बिक्री की मात्रा 36.67 लाख टन थी. रबी फसलों की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और मार्च/अप्रैल से कटाई शुरू होती है. वहीं, बीते दिनों खबर सामने आई थी कि वैश्विक कीमतों में नरमी आने के बीच सरकार की उर्वरक सब्सिडी का खर्च चालू वित्तवर्ष में बढ़कर 2.3-2.5 लाख करोड़ रुपये हो सकता है. हालांकि, तब उद्योग संगठन एफएआई ने ये भी कहा गया था कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में इसमें 25 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है. साथ ही फर्टिलाइजर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) ने चिंता व्यक्त की थी कि यूरिया की स्थिर लागत में वृद्धि नहीं की गई है. इससे यूरिया संयंत्रों की लाभप्रदता प्रभावित हो रही है. इसने यह भी बताया था कि उद्योग बहुत कम मार्जिन (लाभ) पर काम कर रहा है, जो इस क्षेत्र में नए निवेश के लिए बाधा बन रहा है.
वृद्धि के प्रभाव से बचाने में मदद मिली है
वहीं, उद्योग निकाय ने कहा था कि चालू रबी (सर्दियों में बोया गया) सत्र के लिए यूरिया और डीएपी सहित उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. एफएआई के अध्यक्ष के एस राजू ने संवाददाताओं से कहा था कि हमारा अनुमान है कि उर्वरक सब्सिडी खर्च 2.3 लाख करोड़ रुपये से 2.5 लाख करोड़ रुपये के बीच बैठेगा. उन्होंने कहा था कि इससे किसानों को, उर्वरकों और कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज वृद्धि के कारण सभी उर्वरकों की लागत में भारी वृद्धि के प्रभाव से बचाने में मदद मिली है.
पिछले वित्तवर्ष में उर्वरक सब्सिडी 1.62 लाख करोड़ रुपये रही थी
इंडियन पोटाश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और एफएआई बोर्ड के सदस्य पीएस गहलोत ने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी खर्च में करीब 25 प्रतिशत की कमी आ सकती है क्योंकि वैश्विक कीमतें नरम हुई हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि बहुत कुछ वैश्विक कीमतों के भविष्य के रुझान पर निर्भर करेगा. एसोसिएशन ने बताया था कि पिछले दो वर्षों के दौरान प्राकृतिक गैस/एलएनजी सहित उर्वरकों और उर्वरक कच्चे माल के लिए अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
क्षेत्र से संबंधित अन्य मुद्दों के बारे में, एफएआई ने कहा था कि वर्ष 2014 के बाद से संशोधित एनपीएस- III नीति के तहत मामूली वृद्धि को छोड़कर, वर्ष 2002-03 से न्यूनतम स्थिर लागत के अनुमोदन में देरी और लागत में संशोधन नहीं होने के कारण यूरिया उद्योग की लाभप्रदता प्रभावित हुई है. एफएआई ने इस बात को रेखांकित किया था कि एनपी/एनपीके जैसे जटिल उर्वरकों को छोड़कर अप्रैल-अक्टूबर 2022 के दौरान प्रमुख उर्वरकों के उत्पादन में वृद्धि हुई है.