जूट(प्रसिद्ध किस्में और पैदावार)
जूट की उन्नत किस्में
वर्तमान समय में जूट की कई उन्नत किस्मों को उगाया जा रहा है। जिन्हे दो प्रजातियों में विभाजित किया गया है। जिसकी पैदावार कटाई, बुवाई और रखरखाव पर निर्भर होती है।
कैपसुलेरिस प्रजाति
इस प्रजाति की जूट को सफ़ेद जूट नाम से भी जानते है। जिसे ज्यादातर नीची भूमि में उगाया जाता है।
- जे.आर.सी. – 321 :- इस क़िस्म की जूट कम समय में पककर तैयार हो जाती है। जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 10 से 15 मन होता है। इसके रेशो में 20% नमी पाई जाती है। इसका पौधा 5 माह पश्चात् कटाई के लिए तैयार हो जाता है।
- यू.पी.सी. – 94 :- इसे रेशमा क़िस्म के नाम से भी जानते है। इसका पौधा 120 से 140 दिन पश्चात् कटाई के लिए तैयार हो जाता है, तथा पौधे का निचला भाग अधिक पैदावार देता है। यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के खेत से 12 मन की पैदावार दे देता है।
- जे.आर.सी – 212 :- इस क़िस्म को मध्यम और ऊँची भूमि में उगाया जाता है। यह क़िस्म 5 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। जो प्रति हेक्टेयर के खेत से 10 मन का उत्पादन देती है । इसके पौधों को मार्च माह में लगाकर अच्छी उपज और कमाई की जा सकती है।
- एन.डी.सी. :- यह क़िस्म अधिकतर निचली भूमि में उगाई जाती है, साथ ही इसे सम्पूर्ण भारत में उगाया जाता है। इस क़िस्म को फ़रवरी से मार्च महीने के मध्य तक बो सकते है, जिसकी पैदावार 12 से 15 मन होती है।
ओलीटोरियस प्रजाति
- इसे देव और टोसा जूट प्रजाति भी कहते है। इस प्रजाति में पौधों पर निकलने वाली जूट की पत्तिया मीठे स्वाद की होती है।
- जे.आर.ओ. – 632 :- यह क़िस्म ऊँची भूमि में उगाई जाती है, जो देरी से तैयार होती है। इसके बीजो की बुवाई अप्रैल से मध्य मई में की जाती है। यदि आप अच्छे से इसकी फसल उगाते है, तो आपको प्रति हेक्टेयर के खेत से 22 मन का उत्पादन मिल जाएगा। यह क़िस्म उत्तम गुणवत्ता वाले रेशे देती है, जिसकी लम्बाई 10 फ़ीट से भी अधिक होती है।
- जे.आर.ओ. – 66 :- यह भी ऊँची भूमि में उगाई जाती है, जिसका पौधा 10 से 12 फ़ीट ऊँचा होता है। एक हेक्टेयर के खेत से 20 मन की उपज मिल जाती है। यदि फसल की देख-रेख अच्छे से की जाए तो 30 मन तक पैदावार ली जा सकती है। यह क़िस्म 100 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- जे.आर.ओ. – 878 :- इस क़िस्म की जूट को किसी भी तरह की भूमि में ऊगा सकते है। इसका पौधा तक़रीबन 130 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 15 से 20 मन होता है। इसका पौधा समय से पहले फूल आने के लिए अवरोधी होता है, जिस वजह से रेशो की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है।
31/03/2023 05:33:50 p.m.