लहसुन(जलवायु)
लहसुन की खेती विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में की जाती है, हालांकि, लहसुन की फसल अति गर्म एवं अति शीत तापमान में नहीं हो सकती। इस फसल में शाकीय वृद्धि एवं कंद विकास अवस्था के दौरान ठंडी एवं नम जलवायु की आवश्यकता रहती है लेकिन परिपक्वता के दौरान गर्म शुष्क मौसम की जरूरत होती है। आमतौर पर गर्म परिस्थितियों की तुलना में ठंडे वातावरण में कहीं उच्चतर उपज होती है। किस्म की जरूरत के अनुसार 1-2 महीनों के लिए अवयस्क पौधों को 200 से. अथवा कम तापमान मिलने से अनुवर्ती कंदीय प्रवृति में वृद्धि होती है। ऐसी जलवायु परिस्थितियों में नहीं रहने वाले पौध कंद उत्पन्न करने में असफल रहते हैं अथवा उनमें छोटे आकार के कंद उत्पन्न होते हैं। हालांकि, कम तापमान में ज्यादा समय तक बने रहने से पत्तियों के कक्ष में कंदिका उत्पन्न हो सकती है जिससे कंद उपज कम हो सकती है। लहसुन की लघु प्रदीप्ति दिवस तथा दीर्घ प्रदीप्ति दिवस वाली किस्मों में कंद बढ़ोतरी हेतु महत्वपूर्ण प्रदीप्ति दिवस लंबाई क्रमषः 10-12 घंटे एवं 13-14 घंटे होती है।
21/04/2023 05:17:55 p.m.