शिमला मिर्च(पौधे की देखभाल)
बीमारीयां और रोकथाम
उखेड़ा रोग: यह एक फंगस की बीमारी है जो अंकुरित पौधों पर हमला करती है| इसके लक्षण तने पर धब्बे दिखाई देना है जिस कारण पौधा सूख कर अंत में मर जाता है| यह 4-5 दिनों में पूरी फसल पर हमला करता है| फसल को हल्के निकास वाली मिट्टी में उगाने पर मुख्य रूप से यह बीमारी हमला करती है|
उपचार: इस उखेड़ा रोग के बचाव के लिए बोर्डीओक्स मिश्रण 0.5-1.0% या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड जैसे की ब्लीटॉक्स या फ्लाईटोलन की स्प्रे करें|
ऐंथ्राक्नोस: यह एक फंगस की बीमारी है जो फसल के तने, पत्तों और फलों पर हमला करती है| इसके लक्षण फलों पर गहरे और गोल धब्बे और बीजों पर काले रंग के धब्बे देखे जा सकते है| कुछ समय बाद संक्रामक फल पकने से पहले ही गिर जाते है| यह बीमारी आम-तौर पर उचित नमी को संक्रामक करती है|
उपचार: बिजाई से पहले बीजों का उपचार आवश्यक है| बीजों को थीरम 0.2% या ब्रासिको 0.2% ऐंथ्राक्नोस बीमारी के लिए ब्रासिको 0.2% से उपचार करें| इस बीमारी के लिए डाईथेन(एम-45) या ब्लीटॉक्स 0.4% या डाईफ़ोलटन 0.2% की 15 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करें|
पत्तों के धब्बे: यह बीमारी गर्मियों में दिखाई देती है| इसके लक्षण पत्तों के विकास के समय टैलकम पाउडर दिखाई देता है, जिससे विकास रुक जाता है और पत्ते झड़ जाते हैं|
उपचार: पत्तों के धब्बे के बचाव के लिए सलफैक्स 0.2% या ट्राईडमॉर्फ़ 0.2% की स्प्रे 15 दिनों के अंतराल पर करें|
सूखा: इसके लक्षण से पत्ते और फल तेज़ी से सूखने लगते है|
उपचार: ब्लीचिंग पाउडर 15 किलोग्राम की सहायता से सूखे से बचाव किया जा सकता है| इसके लिए प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करें जैसे “ArkaGaurav” बीमारी को रोकने में मदद करती है|
पत्तों का मुड़ना: इसके कारण पत्ते मुड़ जाते है, पत्तों की शिराओं का भुरना और बीच वाली शीरा मोटी होने लगती है|
उपचार: प्रभावित पौधों को निकाल दें ताकि दूसरे पौधे प्रभावित ना हो सकें|
कीट और रोकथाम
थ्रीप: इसके बीमारी के कारण पत्तों पर सफेद दाने दिखाई देते हैं और विकास रुक जाता है|
उपचार: मैलाथिऑन(सीथिऑन 50 ई सी 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी) या डाईमैथोएट(रोगोर 30 ई सी 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी) की स्प्रे करें| निकोटाइन सलफेट @0.25%. की स्प्रे से कीटों की रोकथाम की जा सकती है|
चेपा: यह पौधे को खाकर नुकसान पहुंचाता है जिससे पौधे नष्ट हो जाते हैं|
उपचार: चेपे से बचाव के लिए मोनोक्रोटोफोस 0.05-0.01% या डेमेटोन मिथाइल 0.05-0.02% की स्प्रे करें|
जूं: यह शिमला मिर्च के छोटे कीट है जो पत्तों को अपना भोजन बनाते है|
उपचार: जूं की रोकथाम के लिए सैपरमैथरिन 5 ई सी 3 मि.ली. सहायक होती है| डाईमैथोएट(रोगोर 2 मि.ली. प्रति लीटर) या डीकोफोल(केलथेन 1.5 मि.ली. प्रति लीटर) भी जूं की रोकथाम के लिए सहायक है|
21/04/2023 05:05:18 p.m.