सेब(पौधे की देखभाल)
क्लियरविंग मोठ रोग :
जब सेब की फसल पूरी तरह से विकसित हो जाती है तब क्लियरविंग मोठ रोग लगता है। इसमें लार्वा पौधों की छाल में छेद करता है जिससे फसल खराब हो जाती है। इस रोग के समूल नाश के लिए पौधों पर दिन में तीन बार क्लोरपीरिफॉस का छिडक़ाव करना चाहिए। यह छिडक़ाव करीब 20 दिन तक करना चाहिए।
सफेद रुईया कीट रोग :
इस रोग में कीट सेब के पेड़ की पत्तियों का सारा रस चूसकर उसे खराब कर देता है। रोग से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड या मिथाइल डेमेटान का छिडक़ाव करने की सलाह दी जाती है।
पपड़ी रोग :
इस रोग में सेब का रंग-रूप खराब हो जाता है। यह रोग सेब की खेती में सबसे हानिकारक माना जाता है। इस रोग का प्रकोप होने पर सेब का फल फटा-फटा सा हो जाता है। उसकी रंगत फीकी हो जाती है। इसके अलावा यह रोग पौधे की पत्तियों को भी खराब कर देता है। समय से पहले ही पत्तियां टूट जाती हैं। पपड़ी रोग से बचाव के लिए बाविस्टिन या मैंकोजेब का छिडक़ाव करना चाहिए।
अन्य रोग :
उपरोक्त प्रमुख रोगों के अलावा सेब की खेती में कई अन्य तरह के रोग भी देखने को मिलते हैं। इनमें पाउडरी मिल्ड्यू, कोडलिंग मोठ, रूट बोरर, सेब का रूइया, सेब का शल्क, जड़ छेदक, तना बेधक, ब्लासम थ्रिप्स, सेब का स्कैब, तने की काली, चूर्णिल आसिता, जड़ की सडऩ जैसे रोग फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
21/04/2023 12:35:41 p.m.