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ज़मीन की तैयारी

आलू(ज़मीन की तैयारी)

खेत को एक बार 20-25 सैं.मी. गहरा जोतकर अच्छे ढंग से बैड बनाएं। जोताई के बाद 2-3 बार तवियां फेरें और फिर 2-3 बार सुहागा फेरें। बिजाई से पहले खेत में नमी की मात्रा बनाकर रखें। बिजाई के लिए दो ढंग मुख्य तौर पर प्रयोग किए जाते हैं:

1. मेंड़ और खालियों वाला ढंग

2. समतल बैडों वाला ढंग

 

आलू की खेती भुरभुरी मिट्टी में की जाती है। इसके लिए सबसे पहले खेत में मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर दी जाती है। जुताई के बाद खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है। इसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के रूप में 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट को डालकर उसकी फिर से जुताई कर दी जाती है। इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद अच्छे से मिल जाती है। इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है, पलेव के बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगती है, तब रासायनिक खाद के रूप में डी.ए.पी. के दो बोरे खेत में डालकर जुताई कर दी जाती है। 

इसके बाद रोटावेटर लगाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर दिया जाता है, मिट्टी के भुरभुरा होने के पश्चात पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है। इसके बाद खेत में पौधों की रोपाई के लिए मेड़ को तैयार कर लिया जाता है। इसके अलावा पौधों के विकास के समय 25 KG यूरिया की मात्रा को सिंचाई के साथ देना होता है। 

29/03/2023 05:38:52 p.m.