आम(सिंचाई)
सिंचाई की मात्रा और फासला मिट्टी, जलवायु और सिंचाई के स्त्रोत पर निर्भर करते हैं। नए पौधों को हल्की और बार-बार सिंचाई करें। हल्की सिंचाई हमेशा दूसरी सिंचाई से अच्छी सिद्ध होती है। गर्मियों में 5-6 दिनों के फासले पर सिंचाई करें और सर्दियों में धीरे-धीरे फासला बढ़ा कर 25-30 दिनों के फासले पर सिंचाई करें। वर्षा वाले मौसम में सिंचाई वर्षा मुताबिक करें। फल बनने के समय, पौधे के विकास के लिए 10-12 दिनों के फासले पर सिंचाई की जरूरत होती है। फरवरी के महीने में खादें डालने के बाद हल्की सिंचाई करें।
बसंतकाल में 15 फरवरी के आसपास आम का बौर आने लगता है। यही फसल का आधार होता है। बौर आने से पूर्व या आते समय सिंचाई करने से दिक्कत होने लगती है। पूर्ण रूप से बौर नहीं आ पाता। इसमें बौर के गिरने का भी खतरा रहता है। आम के फसल की सिंचाई मटर के दाने के बराबर फल हो जाने पर करनी चाहिए। आम की फसल के लिए बाग़ लगाने के प्रथम वर्ष सिंचाई 2-3 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार करनी चाहिए 2 से 5 वर्ष पर 4-5 दिन के अन्तराल पर आवश्यकता अनुसार करनी चहिये। तथा जब पेड़ों में फल लगने लगे तो दो तीन सिंचाई करनी अति आवश्यक है। आम के बागों में पहली सिचाई फल लगने के पश्चात दूसरी सिचाई फली का काँच की गोली के बराबर अवस्था में तथा तीसरी सिचाई फली की पूरी बढ़वार होने पर करनी चाहिए। सिचाई नालियों द्वारा थाली में ही करनी चाहिए जिससे की पानी की बचत हो सके।
20/04/2023 12:33:38 a.m.